Sunday, March 1, 2009

उनके बारे में हम ज्यादा क्या कहें...

Of recent, entries posted to my blogs are dedicated to someone special, very special. The opinions expressed are solely mine own and her consent is not taken for any of the comments. Needless to say that she is not aware of how special she has become. Whatever be it, she has become a source of inspiration for my latest blog postings. Hope the inspiration continues with more such postings that can be cherished forever... :-)


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उनके बारे में हम ज्यादा क्या कहें, उनकी हर अदा निराली लगती है,
मुस्कुरा दे जो कभी, तो चारों तरफ खुशहाली छा जाती है

उनकी तस्वीर दिल में बनाने की कोशिश हमेशा रहती है,

लेकिन अफसोस, तस्वीर की तुलना में वो खुद ज्यादा प्यारी लगती है।

उनको देख के मैं क्या कहूं, दिल और दिमाग में होड़ लगी रहती है,
कल तक तो कमबख्त यह दिल मेरे लिए धड़कता था,
लेकिन उसमें अब कुछ धड़कने उनके नाम की भी लगती है।

जब भी उनको देखता हूँ, खुद की हालत पे तरस आने लगती है,
मैं खुदा का "Rough draft" और वो एक "Master piece" लगती है।

चुन - चुन के उनकी हर मुस्कुराहट को दिल में सजाने की कोशिश होती रहती है,
कैसे कह दूं उनसे, की मेरी हर साँसे अब उनके ही नाम पे चलती है

उन्हें देख के हमें कभी - कभी पूर्व जन्मों में जुड़े किसी तार की उपस्थिति की अहसास होती है,
यह और बात है की इस जन्म में भी वो हमें अनजान बन के देखती है।

उनकी अहमियत कितनी बन गयी है, जुबान कहने से कतराती है,
बस इतना समझ लो की इन धड़कनों की पटरी पे अब रेलगाड़ी उनके नाम की चलती है।

कहीं कमजोरी ना बन जाए वो मेरी, इस डर से जुबान चुप रह जाती है,
प्रेरणा श्रोत बन गयी है वो मेरी, बस कलम चलती रह जाती है।

राज कोई उन पर जाहिर ना हो जाए, मजबूरी ऐसी हो जाती है,
लेकिन क्या करें, नज़रें भी तो हमेशा उन्हीं को तलाशती रह जाती है।

मुस्कुराहट के बारे में फिर कहता हूँ, वर्ना दास्ताने-बयाँ कम पड़ जाती है,
आज भी उनकी एक झलक पाने को, निगाहें भीड़ में घूड़दौड़ करने लग जाती हैं।

उनके बारे में बखान करने को, शब्दकोष छोटी पड़ जाती है,
उनकी कोई भी अदा पे लिख के देखूं, तो दवात कम पड़ जाती है।

इतना कुछ बोला उनके बारे में, फिर भी बहुत बात रह जाती है,
चाहत ख्यालों में उठती है, वास्तविकता कुछ और कह जाती है।

उनके सामने 'गर कभी आ जाता हूँ, तो नज़र इज्जत से झुक जाती है,
इसका मतलब कोई यह ना समझना की मेरी आँखें उनसे नज़रें चुराती हैं।

उनसे मिलने की चाहत कभी - कभी दिल चीर के निकल जाती है,
लेकिन कोई क्या करे, हमेशा की तरह उसको मौत ही गले मिल पाती है।

अब तो मिलने की हर चाहत दिल के किसी कोने में लगता है दफ़न हो जाती है,
कोई पूछे उस से, की मेरे दिल में वो अपने चाहतों का कब्रिस्तान क्यों बनाती है।

बस इन्ही ख्यालों में मेरी रात और दिन एक समान कहीं खो जाती है,
उनकी एक झलक पाने की आस में पल पल कर के जिंदगी बस यूँ ही कट जाती है।

उनके बारे में ज्यादा क्या कहें, उनकी हर अदा निराली लगती है,
मुस्कुरा दे जो कभी, तो चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।


- "क्षितिज़"